झिलमिल सी दिखती है तस्वीर सामने उसकी,
जाने क्यूँ धुधली सी हुई जा रही सूरत उसकी,
जब ख़ुद उलझन में रहती थी,
और मेरी परेशानियों में मुझसे कहती थी,
"भगवान् हमेशा खुश रखे तुझे",
पर आज शायद भूल रहा हूँ मै आज उसे !
रखता था हर पल अपनी रूह में जिसे,
शायद भूल रहा हूँ आज मै उसे !
चौकी पर सुलाके ख़ुद ज़मीन पे सोती थी,
मानो देवी के रूप में हमेशा साथ रहती हती,
तब तो लगता था कहीं जाने ही न दूँ उसे,
पर आज शायद भूल रहा हूँ मै उसे !
स्कूल से आके गले लग जाता,
होम वर्क कर उसके साथ खाना खाता,
उसके बिन दुनिया की कोई कल्पना ही नहीं थी मुझे,
पर शायद भूल रहा हूँ मै आज उसे !
एक्साम्स में पास बैठ के ही पढता,
वो सिलाई करती और मै चप्तेर्स ख़त्म करता,
ख़ुद चाय बना के बड़े प्यार से पिलाती थी मुझे,
पर आज शायद भूल रहा हूँ आज मै उसे !
छोटे से छोटा फ़ैसला भी उसको पूछ के करता,
चाहे लट्टू हो या कंचे खेलने से पहले हर बात उसकी सुनता ,
अब कुछ भी बताने से पहले हित्च्किचाता हूँ उसे,
हाँ शायद भूल रहा हूँ आज मै उसे !
जब भी मुश्किल में होता, सबसे पहले उसे बताता,
दुःख अपना सुनाता ,दुलार उसका पात्ता,
उस ममता की देवी ke बहुत उधार चुकाने हैं मुझे,
पर पता नहीं क्यूँ भूल रहा हूँ आज मै उसे !
उसकी प्यार भरी थपकियों की जगह आज अलार्म ने ले ली है,
वो ममता भरे हाथ आज स्नूज़ ने छीन लिए हैं,
उठने की कोशिश तो करता हूँ बिन बताये उसे,
पर शायद भूल रहा हूँ आज मै उसे !
पसंद है मुझे आलू का हलवा,चाशनी के चावल और राजमा की दाल,
बनाते समय जो बस मेरा ही रखती थी ख़याल,
वो taste नहीं मिलेगा कहीं आज मुझे,
ये जानते हुए भी भूल रहा हूँ आज मै उसे !
कॉलेज में भी उसकी यादें बहुत रुलाती थी,
हर टेस्ट के पहले उसकी याद आती थी,
हर सेम के रिजल्ट पे कॉल करता था उसे,
पर आज क्यूँ भूल रहा हूँ मै आज उसे !
पहली जॉब करने गुर्गों आया,
लेकिन ४ महीने से ज्यादा नहीं कमाया,
रोटी बनाना सिखाया जिसने मुझे,
भूल रहा हूँ शायद आज मै उसे !
हमेशा मेरी जिद्द को पूरा किया,
जो माँगा उससे कहीं ज्यादा दिया,
उससे कोई शिकवा न शिकायत है मुझे,
पर न जाने क्यूँ भूल रहा हूँ आज मै उसे !
अपना फ़र्ज़ उसने खूब निभाया,
पर दर्द अपना किसीको न बताया,
मैं नहीं तो कौन करेगा उसके सपने साकार,
यदि भूल गया उसको तो मुझपे है धिक्कार !
ऐ माँ तुझे कोटि कोटि प्रणाम